यह एक का भगवद-चर्चाका तत्त्वज्ञान प्राप्त करा देनेका उपक्रम है । भगवद-चर्चाका तत्त्वज्ञान आज भी कैसे उपयुक्त है ये
बतानेका प्रयास है ।
इस ग्रंथमे हनुमानजी पोद्दारने अपने अनुभवसे प्राप्त भगवानका महत्त्व तथा उपासनाका वर्णन किया है
।
उसको स्थलका, कालका, वंशका, जातीका, तथा धर्मका
कोई बंधन नही है । यह तत्त्वज्ञान नित्य निरंतर सभीके लिये उपयुक्त
है ।
इसमे चिंतनका, तथा मनुष्य-जीवनकी सार्थकताका उपदेश है । इसी तत्त्वज्ञानका प्रसार कराना यही इस उपक्रमका प्रमुख उद्दीष्ट है ।
भगवद-चर्चाका प्रत्येक विभागपर पाच प्रश्न करके बारह महीनोंका यह अभ्यासक्रम
तयार किया गया है ।
भगवद-चर्चा लेखक हनुमानजी पोद्दार गीता
प्रेस गोरखपूर इस ग्रंथका अभ्यास करते समय प्रत्येक मासमे हर विभाग का
पंधरह दिन हररोज एकाग्रतासे पठण, श्रवण करना चाहिये । उसके बाद सात दिन चिंतन करना
चाहिये । उसके बाद प्रश्नका उत्तर अपनी भाषामे लिखना चाहिये ।
प्रत्येक मासमे हर स्कंधके
प्रश्नका उत्तर पत्राद्वारे
परतीका टपालासहित भेजना चाहिये । स्वामी मोहनदास, (भ्रमणध्वनी-९४२०८५९६१२) एल ५०७ चंद्रमा-विश्व
धायरी पुणे-४११०४१ इस पतेपर भेजना
चाहिये । प्रश्नका उत्तर शंका निरसन तथा जानकारी के लिये,
संपर्क अवश्य करना । (भ्रमणध्वनी-९४२०८५९६१२) आपके मार्गदर्शन
करके आपके प्रश्नका उत्तर आपको वापीस भेजे जाते है ।
भगवद-चर्चा का विभागपर एक बरसका अभ्यासक्रम
भाग पह्ला (न्मास
पहला)
१. दिव्य संदेश
क्या है ?
२. नामके दस
अपराध कौनसे है ?
३. ईश्वर भक्त के
लक्षण क्या है ?
४. भगवद प्रेम के
लक्षण क्या है ?
५. भगवद-प्रेम
क्या विश्व-प्रेम है ?
भाग पह्ला (मास दुसरा)
१. भगवान कहा
रहते है ?
२. गोपी प्रेम
कैसा है ?
३. चार
प्रश्नोंका उत्तर क्या है ?
४. भगवानमे
शरणागती कैसी होनी चहिये ?
५. भगवानकी
सर्वव्यापकता कैसी ?
भाग दुसरा (मास तिसरा)
१. हम क्या नही
चाहते ?
२. जीवकी तृप्ती
कैसे हो ?
३. श्रध्दा की
कमी का कारण क्या है ?
४. क्या ईश्वरके
घर न्याय नही है ?
५. सच्ची साधना
कौनसी है ?
भाग दुसरा (मास चौथा)
१. भक्तीके साधन
कितने है ?
२. होलीपर कौनसा
कर्तव्य है ?
३. मन कैसा साफ
करे ?
४. पहले अपनी ओर
क्यो देखे ?
५. सती महिमा
क्या है ?
भाग तिसरा (मास
पाचवा)
१. नटनागर
श्रीगोपाललालका ध्यान कैसा करे ?
२. अवतार तत्त्व
क्या है ?
३. गृहस्थके लिये
साधारण नियम कौनसे है ?
४. वैष्णवोंकी
द्वादश शुध्दी कौनसी है ?
५. ----- ?
भाग तिसरा (मास छ्ठा)
१. पुरूषोत्तम
तत्त्व क्या है ?
२. गोरक्षाके
कितने साधन है ?
३. श्रेष्ठ धर्म
कौनसा है ?
४. संकटसे बचनेके
लिये कौनसे उपाय है ?
५. पाश्चात्य
संस्कृती कैसी है ?
भाग चौथा
मास सातवा
१. संतके लक्षण
क्या है ?
२. गृहस्थके धर्म
क्या है ?
३. भगवानका स्मरण
कैसे करे ?
४. परमार्थ
साधनके विघ्न कितने है ?
५. गुरूके
सदाचारसे शिष्य का आचरण कैसे होता है ?
भाग चौथा (मास आठवा)
१. सेवापराध
कितने है ?
२. सच्चा भिखारी
कौन है ?
३. श्रीराधाजी
कौन है ?
४. महायोग तत्त्व
क्या है ?
५. भोजन साधन
क्या है ?
भाग पाचवा(मास नववा)
१. मृत्युंजय
योग क्या है ?
२. पंचमहायज्ञ
किस प्रकार करे ?
३.
रासलिलाकी महिमा क्या है ?
४. नारदजीने श्रीराधाजीका स्तवन किस प्रकार किया है ?
५. श्रीराधाजीने उध्दवको
क्या उपदेश किया ?
भाग पाचवा
(मास दसवा)
१. दस प्रकारकी
नौ-नौ बाते कौनसी है ?
२. सेवाकी सात
बाते कौनसी है ?
३. पुत्रका
पिताको आदर्श उपदेश कौनसा है ?
४. जीव क्या है
और उसका बंधन कबसे है ?
५. भगवानकी शरण
पानेका आधिकारी कौन है ?
भाग छ्ठा (मास ग्यारहवा)
१. शरणागतीके
साधनमे कितने भाव है ?
२. भगवत चिंतनसे
परमशांती कैसे मिलती है ?
३. भगवानके
आश्वासनपर कैसे विश्वास करे ?
४. पति का धर्म
क्या है ?
५. अद्वैतवाद कया
है ?
भाग छ्ठा (मास बारहवा)
१. पुरूषोत्तम
मासके नियम क्या है ?
२. तमाखूसे क्या
हानि होती है ?
३. हरिनामका क्या
महत्त्च है ?
४. पाच पुत्रोंके
लक्षण कैसा है ?
५. अंतर्याग और
बहिर्याग किस प्रकार होता है ?
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