ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय
भागवत प्रबोधन
एल ५०७ चंद्रमा विश्व धायरी पुणे-४११०४१ (९४२०८५९६१२)
भागवत प्रबोधन यह श्रीमद्
भागवतमे बताया गया
आत्मज्ञानका प्रचार करानेका उपक्रम है
। पत्रद्वारा आप यह आत्मज्ञानकी दृष्टी प्राप्त
कर सकते है
। भागवतके उपदेशोंका प्रसार करना, यही इस उपक्रमका
मुख्य उद्दीष्ट है । श्रीमद् भागवतमे बारह स्कंध
है । हर स्कंधोंपर पॉच प्रश्न
पूँछे गये है । श्रीमद्
भागवतमहापुराण, हिन्दी व्याख्यासहित
(गीता प्रेस, गोरखपूर)
इस ग्रंथका अध्ययन करके
हर स्कधोंके पॉच सवालोंके उत्तर हर मासमे
हमारे यहँा भेज
देना है । साथमे जबाबी
टपाल भेज दियँा,
तो आपके उत्तरोंपर
मार्गदर्शन करके आपको
वापीस भेज दिया
जायेगा, ताकि आपको
अपना उत्तर बराबर
है या नही इसकी जानकारी
होंगी ।
श्रीमद् भागवत
महापुराण व्यासदेवजीके द्वारा रचित
है । इसमे निष्काम एवं परमधर्मका
निरूपण किया गया
है। यह श्रीमद्
भागवत साक्षात भगवानका स्वरूप है।
इसका प्रधान विषय
आत्मस्वरूपका तत्त्वज्ञान है। इस आत्मतत्त्वका मुख्य साधन
है श्रीकृष्णभक्ति। भागवतमे श्रीकृष्णके रूप, गुण
और लीलाओंका चिंतन, नामस्मरण
यही साधनोंका निरूपण विस्तारसे
किया है। इससे
भगवानके प्रति प्रेम
बढता है और संसारकी आसक्ति घटने
लगती है। धीरे-धीरे
आसक्ति नष्ट होनेपर
भगवानके स्वरूपका बोध हो जाता है।
इस अलौकिक ग्रंथमे
अध्यात्म, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, विश्वनिर्मिती, काल विभाजन
एवं आर्यजाती का इतिहास
विस्तारसे बताया गया
है। केवल शुष्कज्ञानसे
परमानंद नही मिल
सकता। केवल बुध्दीका
विकास करनेसे मनुष्य
जीवनकी इतिश्री नही होती।
आज पाश्चात्य जगतमे मानसिक
और वैज्ञानिक उन्नतिके द्वारा मानवजातिका
घोर अवमान हो
रहा है। ज्ञानकी
विडंबना हो रही है। रजोगुणसे
अहंकार बढ रहा है। भागवतमे
यही अहंकारको नष्ट करनेका
भलीभांती प्रयास किया
है। इसलिये अखिल
मानव-कल्याणके लिये इस
समय भी भागवतके
प्रचारकी नितांत आवश्यकता
है। विश्वव्यापी प्रेमकी भावना सकल
विश्वमे प्रसारीत करनेके लिये
भक्तीमार्गके अनुसरणकी आवश्यकता है। भक्तियोगसे
सबमे एकता, सबमे
समानता और अभिन्नताका
भाव उत्पन्न होता है।
जीवन सुख-शांतीमय बन सकता
है।
यह भागवतका उपदेश ही
आजकी परिस्थितीमे कल्याणकारी है । परमशांतीसे ही संसारका
दुःख दूर हो सकता है
। यह शांती
पाने के लिये
भागवतका स्वाध्याय करना और
उसके अनुकूल जीवन
बिताना नितांत आवश्यक
है। भागवत परिपुर्ण
ग्रंथ है । उसमे भगवानके
विवीध स्वरूपोंका वर्णन किया
है । निर्विशेष-सविशेष,
निराकार-साकार, जो जैसे
अधिकारी हो वैसा
रूप भागवतमेसे प्राप्त कर सकता
है। आजकलके सभ्य
कहलानेवाले संसारमे असत्यकी पूजा और
सत्यकी अवहेलना प्रचलित हो गयी है। जो जितना ही
सुशिक्षित है, जितनी
ही अधिक मस्तिष्क-शक्तिसे
संपन्न है, वह उतना ही
असत्यके आश्रित है।
उसके जीवनमे शांतीका
अभाव है । यह शांती
भागवतके अध्ययनसे प्राप्त हो सकती
है । जिस मनुष्यको ज्ञानकी ओर जानेकी
तिव्र इच्छा है,
उसके लिये यह
भागवत परमात्माको प्रकाशित करनेवाला अतुलनीय दीपक है
।
स्वामी मोहनदास,
भागवत प्रबोधनकार
(भ्रमणध्वनी--९४२०८५९६१२)
श्रीमद् भागवत-अभ्यासक्रम (अवधी-बारह मास)
श्रीमद् भागवतका
चिंतन करके अपनी
भाषामे लगभग २००
शब्दोंमे उत्तर लिखकर
हर मासमे डाकद्वारा
भेज दे।
प्रथम स्कंध
(प्रथम मास)
१. भगवानके
अवतारोंका वर्णन किजीये।
२. महर्षी
व्यासजीका असंतोष कैसे दूर हुआ?
३. भीष्मजीने
अंतसमय किस प्रकार
श्रीकृष्ण-स्तूति की है?
४. परीक्षितने
कलिको कितने स्थान दिये?
५. परीक्षितने
शापवाणी सुनकर क्या किया ?
द्वितीय स्कंध
(दूसरा मास)
१. मरणासन्न
मनुष्यको क्या करना चाहिये?
२. भगवानका
विराट स्वरूप कैसा है?
३. विभीन्न
देवताऔंकी उपासना किस उद्देशसे बताई गयी है?
४. चतुःश्लोकी
भागवत क्या है?
५. भागवतके
दस लक्षण कौनसे है?
तृतीय स्कंध
(तिसरा मास)
१. दस प्रकारकी सृष्टिका
वर्णन किजीये।
२. देवहुतिने
कर्दमजीकी सेवा किस प्रकार की?
३. देवहुतिको
प्रकृती-पुरूषका तत्वज्ञान किस प्रकार मिला?
४. अष्टांगयोगका
वर्णन किजीये।
५. भक्तिका
मर्म क्या है?
चतुर्थ स्कंध
(चौथा मास)
१. भगवान शिवजीने सतीको क्या उपदेश किया?
२. ध्रुवजीने
किस प्रकार तपस्या
की?
३. महाराज
पृथुने प्रजाको क्या उपदेश किया?
४. सनकादिने
पृथुको क्या उपदेश किया?
५. पुरंजन
आख्यानका तात्पर्य क्या है?
पंचम स्कंध
(पँाचवा मास)
१. ऋषभजीने
अपने पुत्रोंको क्या उपदेश किया?
२. ऋषभजीके
अवधूतवृत्तीका वर्णन किजीये।
३. भरतजी मृगयोनिमे किस प्रकार फँस गये?
४. जडभरतजीने
राजा रहुगणको क्या उपदेश किया?
५. नरकोंकी
विभीन्न गतियोंका वर्णन किजीये।
षष्ठ स्कंध
(षठा मास)
१. सच्चा प्रायश्चित्त क्या है?
२. विष्णुदुतद्वारा भागवतधर्मका वर्णन किजीये।
३. यमराजने
यमदुतोंको कोनसा उपदेश दिया?
४. नारायण-कवचका
वर्णन किजीये।
५. पुंसवन
व्रतकी विधी क्या है?
सप्तम स्कंध
(सातवा मास)
१. प्रल्हादजीने
असुर-बालकोंको क्या उपदेश दिया?
२. ब्रह्मचर्यके
नियम कौनसे है?
३. वानप्रस्थके
नियम कौनसे है?
४. यतिधर्मका
वर्णन किजीये।
५. गृहस्थोंके
लिये मोक्षधर्मका वर्णन किजीये।
अष्टम स्कंध
(आँठवा मास)
१. गजेंद्रद्वारा
भगवान-स्तुतिका वर्णन किजीये।
२. समुद्रमंथनका
वर्णन किजीये।
३. पयोव्रतकी
विधि क्या है?
४. शुक्राचार्यजीने बलिको क्या उपदेश दिया?
५. बलिद्वारा
भगवान-स्तुतिका वर्णन किजीये।
नवम स्कंध
(नौववा मास)
१. अंबरीष
भगवानकी आराधना किस प्रकार करता था?
२. भगवान विष्णुने दुर्वासाको
क्या आज्ञा दी?
३. भगीरथद्वारा
गंगावतरका वर्णन किजीये।
४. परशुरामजीके
चरित्रका वर्णन किजीये।
५. ययातिने
देवयानीको विषयभोगके संबंधमे
क्या उपदेश दिया?
दशम स्कंध
(दसवा मास)
१. वर्षा-शरद
ऋतुके वर्णनमे कौनसा उपदेश किया है?
२. श्रीकृष्णने
महारास प्रारंभ गोपीयोंको
क्या सलाह दी?
३. महारास
निरूपण सुनकर परीक्षितके
संदेहको कैसे मिटाया?
४. भगवानकी
नित्यचर्याका वर्णन किजीये।
५. त्यागीकी
उपासनासे भोग और विष्णु उपासनासे
त्याग कैसा?
एकादश स्कंध
(ग्यारहवा मास)
१. नौ योगेश्वरोंने किस प्रकार
उपदेश किया है?
२. अवधूत आख्यानका वर्णन किजीये।
३. सत्संगकी
महिमा क्या है?
४. ज्ञानयोग,
कर्मयोग तथा भक्तियोग
का वर्णन किजीये।
५. श्रीकृष्णद्वारा भागवत धर्म का
निरूपण किजीये।
द्वादश स्कंध
(बारहवा मास)
१. कलियुगके
धर्म क्या है?
२. कलियुगके
दोषोंसे बचनेका उपाय क्या है?
३. शुकदेवजीका
अंतिम उपदेश क्या है?
४. भगवानके
अंग, उपांग और आयुधोंका रहस्य क्या है?
५. श्रीमद्
भागवतकी महिमा क्या है ?
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