वैशाख मास मे तीन प्रमुख व्रतपर्वोत्सव है ।
१)अक्षयतृतीया (वैशाख मास शुक्ल तृतीया)
वैशाख मासके शुक्ल तृतीयको
अक्षयतृतीया कहते है । अक्षयतृतीयाके दिन सोमवार और रोहिणी नक्षत्र तिनोंका सुयोग
बहुत फलदायी होता है । इसी दिन नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजीका जन्म हुआ है ।
इसी दिन के दान, स्नान,जप, तप, हवन, तर्पण, पिंडदान आदि कर्मोंका शुभ और अनंत फल
मिलता है । प्रात:कालमे स्नान करके गौरीकी यथाविधी पूजा करे । ब्राह्मणोंको
यथाशक्ती दक्षिणा देकर उन्हे सुग्रास भोजन करवाये । इसी दिन ईखके रससे बने पदार्थ,
दही, चावल, दूधसे बने व्यंजन, खरबूज, तरबूज और लड्डुका भोग लगाकर ब्राह्मणोंको दान
करे । अक्षयतृतीयाव्रत करनेसे सुख-समृध्दि होती है ।
२)श्रीसीतानवमीव्रत (वैशाख
मास शुक्ल नवमी)
वैशाख मास शुक्ल नवमीको श्रीसीताजीका
अविर्भाव हुआ है । श्रीसीतानवमीके पावन पर्वपर जो यथाशक्ति भक्तीभावसे व्रत करता
है, उसे पृथ्वी दानका फल, महाषोडश दानका फल, अखिलतीर्थ-भ्रमणका फल, और
सर्वभूत-दयाका फल अनायास ही मिल जाता है । प्रात:कालमे स्नान करके श्रीसीताजीकी
यथाविधी पूजा करे । साथमे श्रीराम, जनकजी, माता सुनयना आदिंकी भी पूजा करे ।
षोडशोपचारे पूजन करे । संपूर्ण दिन उपवास करके दिनभर श्रीराम, जानकीजीका चिंतन करे । दशमीके दिन व्रतकी संपन्नता करे । ब्राह्मणोंको
यथाशक्ती श्रीराम,
जानकीजीकी सुवर्ण प्रतिमा दान देकर उन्हे सुग्रास भोजन
करवाये । गोदान, अन्नदान करे ।
३)श्रीनृसिंहचतुर्दशीव्रत
(वैशाख मास शुक्ल चतुर्दशी)
वैशाख मास शुक्ल चतुर्दशीको
भक्त प्रल्हादका अभीष्ट सिध्द करनेके लिये भगवान नृसिंहरूपमे प्रकट हुए थे । श्रीनृसिंहचतुर्दशीव्रत
अत्यंत कठीन है । प्रात:काल स्नान करके व्रतका संकल्प करे । व्रतमे दुष्ट
पुरूषोंसे वार्तालाप न करे । मध्यान्हकालमे फिरसे वैदिक मंत्रोसे स्नान करे ।
मिट्टी, गोबर, आवला-चूर्णसे नदीमे स्नान करे । फिर घर आकर पूजास्थलपर अष्टदल कमल
बनाये । कमलके उपर पंचरत्नसहित तांबेका कलश स्थापन करे । कलशपर चावलोंसे भरा पात्र
रखे । पात्रमे सुवर्णकी लक्ष्मी-नृसिंहकी प्रतिमाकी प्राणप्रतिष्ठा करे ।
प्रतिमाको पंचामृतसे अभिषेक करे । षोडशोपचारसे पूजन करे । पवमान सुक्तका पठण करे ।
दिनभर उपवास करे । सायंकालमे जन्मोत्सव मनाये । दूसरे दिन प्रात:काल स्नान करके
प्रथम वैष्णव श्राध्द करे । ब्राह्मणोंको गौ, भुमि, तिल, सुवर्ण, ओढने-बिछौने
आदिके सहित चारपाई, सप्तधान्य यथाशक्ती दान करे । दानमे धनकी कृपणता न करे । इस
व्रतसे भगवान नृसिंह प्रसन्न होते है ।
मोक्षप्राप्त होता है । यह श्रीनृसिंहचतुर्दशीव्रत सभी कर सकते है ।
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