श्रावण मास मे छ्: प्रमुख व्रतपर्वोत्सव है ।
१)नागपंचमी (श्रावण मास शुक्ल पंचमी)
श्रावण मास शुक्ल पंचमीको नागपंचमीका
त्योहार नागोंको समर्पित है । इस त्योहारपर नागोंका अर्चन-पूजन होता है । नागपूजामे नागोंको
गो-दुग्धसे स्नान कराते है । इस दिन केवल एक बार ही भोजन करे । प्रात:कालमे स्नान
करके, उपवास करके नागोंकी पूजन करे । पुष्प, गंध, धूप, दिप एवं नॆवेद्योंसे नागोंका
पूजन करे । प्रार्थना करे—जो नाग पृथ्वीपर, पानीमे निवास करते है, वे सब हमपर
प्रसन्न हो, हम उनको बार-बार नमस्कार करते है ।
२)रक्षाबंधन (श्रावण मास पूर्णिमा)
श्रावण मास पूर्णिमाको रक्षाबंधनका
पर्व मनाया जाता है । इस दिन सविधि स्नान करके देवता पितर और ऋषियोंका तर्पण करे ।
दोपहरके बाद रेशमी पीतवस्त्र लेकर उसमे सरसो, सुवर्ण, चंदन, अक्षत, और दुर्वा रखकर
बांध ले । कलशकी स्थापना करके बंधा हुआ पीतवस्त्र (रक्षासूत्र) कलशपर रखकर पुष्प, गंध,
धूप,
दिप एवं नॆवेद्योंसे पूजन करे । उसके बाद बहन भाईके दाहिने
हाथमे रक्षासूत्र बंधाती है । इससे भाईकी
विजय होती है ।
३)श्रावणी उपाकर्म (श्रावण मास पूर्णिमा)
श्रावण मास पूर्णिमाको उपाकर्मका
प्रसिध्द काल माना गया है । इसी दिन ब्राह्मण वेद पारायणका शुभारंभ करते है । इसी
दिन यज्ञोपवित पूजनका भी विधान है । इसी
दिन श्रावणीपर्वभी मनाया जाता है ।
४)जन्माष्टमी (श्रावण कृष्ण अष्टमी)
श्रावण कृष्ण अष्टमीको
रातके बारह बजे भगवान श्रीकृष्णका अवतार हुआ था । इसी दिन प्रात:काल स्नान करके
पूरे दिन उपवास करके भगवान श्रीकृष्णका चिंतन करे । रातके बारह बजे शंख तथा
घंटोंके निनादसे भगवान श्रीकृष्णका जन्मोत्सव संपन्न करे । दरवाजेपर केलेके खंबे,
आमके पत्तोंसे घर सजाया जाता है । रातमे श्रीकृष्णकी मूर्तीको पंचामृतसे अभिषेक
करे । षोडशोपचार पूजन करे । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय इस मंत्रका उच्चारण निरंतर करे ।
विवीध प्रकारकी फलोंसे, मिठाईसे भगवानको नैवेद्य करे । जो इस जन्माष्टमीव्रत करता
है, उसको विष्णुलोक प्राप्त होता है ।
५) श्रावणके सोमवार
श्रावणमे आशुतोष महादेवकी
पूजाका विशेष महत्त्व है । सोमवार महादेवका प्रिय दिन है । अत: श्रावणके सोमवारको महादेवका
षोडशोपचारसे पूजन करे । रुद्र पाठ करे । इसी दिन प्रात:काल स्नान करके पूरे दिन
उपवास करके भगवान महादेवका चिंतन करे । ॐ नम: शिवायका निरंतर जप करे । सायंकालमे
फिरसे महादेवका षोडशोपचारसे पूजन करे । यथाशक्ति ब्राह्मणको दान करे । फिर
ब्राह्मण भोजन कराकर ही स्वयं प्रसाद ग्रहण करे ।
६) मंगलागौरीव्रत (श्रावणके
मंगलवार)
श्रावणके हर मंगलवारको मंगलागौरीका
पूजन करे । यह व्रत विवाहके बाद प्रत्येक स्त्रीको पाच वर्षोंतक करना चाहिये । इसी
दिन प्रात:काल स्नान करके पूरे दिन उपवास करके सोलह प्रकारके पुष्प, सोलह प्रकारके
वृक्षके पत्ते, सोलह प्रकारके अनाज, सोलह फल, आदिसे मंगलागौरीकी पूजा करे । सोलह
विवाहित स्त्रियोंको भी निमंत्रित करे । सोलह
प्रकारके पक्वानका भोग लगाए । फिर सोलह मुखवाले दिपकसे आरती करे । यथाशक्ति
ब्राह्मणको दान करे । फिर ब्राह्मण भोजन कराकर ही स्वयं प्रसाद ग्रहण करे रात्री
जागरण करके दूसरे दिन निर्माल्यका विसर्जन करे ।
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