Saturday, 17 March 2018

फाल्गुन मास



फाल्गुन मासमे दो प्रमुख व्रतपर्वोत्सव है ।
(१)महाशिवरात्रि (फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी)
शिवरात्रिका अर्थ वह रात्रि है जिसका शिवतत्त्वके साथ घनिष्ठ संबंध है । भगवान शिवजीकी अतिप्रीय रात्रिको शिवरात्रि कहा गया है । शिवार्चन और जागरण ही इस व्रतकी विशेषता है । इसमे रात्रिभर जागरण एवं शिवाभिषेकका विधान है ।
श्रीपार्वतीजीकी जिज्ञासापर भगवान शिवजी कहते है,-- फाल्गुन कृष्णपक्षकी चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है । उस दिन जो उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है ।
महाशिवरात्रिको भगवान शिवजी करोडो सूर्योंके समान प्रभावाले लिंगरूपमे प्रकट हुए । महाशिवरात्रिको चंद्रमा सूर्यके समीप होता है । अत: वही समय जीवनरूपी चंद्रमाका शिवरूपी सूर्यके साथ योग-मिलन होता है । अत: इस दिन शिवपूजा करनेसे जीवको अभीष्टतम पदार्थकी प्राप्ती होती है । यह महाशिवरात्रिका रहस्य है । महाशिवरात्रिका पर्व शिवके दिव्य अवतरणका मंगलसूचक है । दिनके चार प्रहरमे चार बार पूजाका विधान है । शिवजीको पंचामृतसे स्नान कराकर चंदन, पुष्प, अक्षता, वस्त्रादिसे श्रृंगार कर आरती करनी चाहिये । रात्रिभर जागरण तथा ॐ नम: शिवाय मंत्रका जप करना चाहिये । रुद्राभिषेकका भी विधान है ।
यह महाशिवरात्रिव्रत व्रतराज के नामसे विख्यात है । शास्त्रोक्त विधीसे जो इसका जागरणसहित उपवास करेंगे उन्हे मोक्षकी प्राप्ती होती है । इस व्रतसे सब पापोंका क्षय होता है । इस व्रतको ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री-पुरूष, बाल, युवा, वृध्द, आदि सभी कर सकते है । इसे न करनेसे दोष लगता है । भगवान शिवजीमे अनुपम सामंजस्य, अद्भुत समन्वय होता है । वे अर्धनारीश्वर होकर भी कामविजेता है, गृहस्थ होते हुए भी विरक्त है, हलाहल पान करनेके कारण नीलकंठ होकर भी विषसे अलिप्त है, उग्र होते हुए भी सौम्य है, अकिंचन होते हुए भी सर्वेश्वर है ।

(२)होलिकोत्सव (फाल्गुन पूर्णिमा)
होली एक आनंदोल्लासका पर्व है । होली संमिलन, मित्रता, एवं एकताका पर्व है । इस दिन द्वेषभाव भूलकर सबसे प्रेम, और भाईचारेसे मिलना चाहिये । एकता, सदभावना एवं सोल्लासका परिचय देना चाहिये । यही इस पर्वका मूल उद्देश एवं संदेश है । होलिका वास्तवमे एक वैदीक यज्ञ है, जिसका मूल स्वरूप आज विस्मृत हो गया है । होली के दिन बडीसे बडी दुष्मनी मिट जाती है । इस दिन गरीब हो चाहे अमीर. शत्रु हो या मित्र सबसे बडे प्रेमसे गले लगाकर मिलते है । होली का दिन शत्रुता खोनेका है । सबसे प्रेमपूर्वक मिलनेका है । सारे भेदको दूर करके अखंड ब्रह्मभावकी बात करना ही इस पर्वका मूल उद्देश एवं संदेश है ।


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