Saturday, 17 March 2018

मार्गशीर्षमास



मार्गशीर्षमास मे चार प्रमुख व्रतपर्वोत्सव है ।
(१)विवाहपंचमी(मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी)
भगवान श्रीरामका विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमीको जनकपुरमे संपन्न हुआ । इसलिये इस दिन अवधमे तथा जनकपुरमे विवाहपंचमी महोत्सव मनाया जाता है । प्रतिवर्ष इस दिन भक्तगण बडे उत्साहसे श्रीरामका विवाह संपन्न कराते है । इस पर्वका उद्देश उत्सवस्वरूप होता है ।

(२)गीता जयंती(मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी)
भगवत-गीताका उपदेश कुरूक्षेत्रमे श्रीकृष्णने अर्जुनको मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशीके पर्वमे किया था । इसलिये इस दिन गीता जयंतीका पर्व मनाया जाता है । इस दिन गीता प्रचारके साथ गीताकी शिक्षाको जीवनमे उतारनेकी स्थायी योजना बनानी चाहिये । गीता-ग्रंथ पूजन, श्रीकृष्ण पूजन, अर्जुन पूजन, व्यास पूजन करे । गीताका यथासाध्य व्यक्तिगत और सामूहिक पारायण करे । गीता-तत्त्वका प्रवचन करे । विद्यार्थियोंको गीता-तत्त्वका अध्ययन करवाये ।

(३)दत्तात्रेय जयंती (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)
योगीश्वर दत्तात्रेयजीका अवतरण मार्गशीर्ष पूर्णिमाको प्रदोषकालमे हुआ था । इसलिये इस दिन दत्तात्रेय जयंतीका पर्व मनाया जाता है । दिनभर उपवास करके दत्तात्रेयजीका चिंतन करे ।
(४)कालभैरवाष्टमी(मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी)
महादेवजीने इस दिन भैरवके रूपमे काशीनगरमे अवतार लिया था । इसलिये इस दिन कालभैरवाष्टमीका पर्व मनाया जाता है । भैरवजीका अवतार मध्यान्हमे हुआ था । भैरवजीका वाहन कुत्ता है । इस दिन । दिनभर उपवास करके ॐभैरवाय नम: इस  नाममंत्रसे भैरवजीका निरंतर चिंतन करे । रात्रिमे जागरण करनेसे मनुष्य पापमुक्त होता है ।

                   

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