चैत्र मास मे चार प्रमुख व्रतपर्वोत्सव है ।
१)संवत्सर प्रतिपदा (चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा)
चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदासे
नवसंवत्सरका आरंभ होता है । यह अत्यंत पवित्र तिथी है, इस दिनसे ब्रह्माजीने
सृष्टी निर्माण प्रारंभ किया था । इस दिन प्रात:काल उठनेसे तुरंत निंबके कोमल
पत्ते, निंबके फुल, काली मिर्च, हिंग, जिरा, मिस्त्री और अजवाइन आदिकी चटणी खाए, इससे
रुधिर-विकार नही होता और आरोग्यकी प्राप्ती होती है । इस दिन प्रात: तेलका उबटन लगाकर स्नान करके
पवित्र होकर देश कालके उच्चारणके साथ शुभ
संकल्प करे । यह दिन चार स्वयंसिध्द अभिजित मुहूर्तमेसे एक है । (१)चैत्र शुक्ल
प्रतिपदा गुढीपाडवा, (२)वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया, (३)आश्विन शुक्ल दशमी दशहरा,
(४)कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा दिपावली पाडवा | संकल्प करके वालूकी वेदीपर श्वेतवस्त्र बिछाकर उसपर हल्दीसे रंगे अक्षतसे
अष्टदल कमल बनाये । उसपर ब्रह्माजीकी सुवर्ण मूर्तीकी स्थापित करे । ॐ ब्रह्मणे
नम: इस मंत्रसे ब्रह्माजीका आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करे । नवरात्रके लिये घट
स्थापन करे । महाराष्ट्रमे प्रात:कालमे स्नान करके इस दिन नववर्षका स्वागत के लिये
दरवाजे पर गुढी उभारते है । वर्षभरके लिये शुभकामनाये एक दूसरेको देते है ।
२)वासंतिक नवरात्र (चैत्र
मास शुक्ल प्रतिपदासे नवमीतक)
प्रात:कालमे स्नान करके
गोमयसे पूजास्थान पवित्र करे । घट स्थापनके लिये पवित्र मिट्टीसे वेदीका निर्माण
करे, फिर उसमे जौ और गेहु बोये तथा सुवर्णका कलश स्थापन करे । कलशपर
श्रीदुर्गादेवीकी मूर्ति स्थापित करे तथा षोडषोपचारसे पूजन करे । नौ दिन कुमारी
पूजन करे । नौ दिन उपवास करे, निरंतर श्रीदुर्गादेवीका चिंतन करे । दसवे दिन
पारणके लिये ब्राह्मणोंको दक्षिणासहित भोजन करवाये । बादमे स्वयं भोजन करे । इस व्रतसे शक्ति,
बुध्दि प्राप्त होती है ।
३)श्रीरामनवमी (चैत्र मास
शुक्ल नवमी)
चैत्र शुक्ल नवमीको श्रीरामजीने
अवतार लिया था । इस दिन प्रात:काल स्नान करके घरके उत्तर भागमे मंडप बनाये । पूर्वद्वारपर हनुमान, दक्षिण द्वारपर गरूड,
पश्चिम द्वारपर अंगद, उत्तर द्वारपर नील की स्थापना करे । मंडप के मध्य भागमे श्रीरामजीकी
मूर्ती स्थापित करे । श्रीरामजी की षोडशोपचारसे
पूजन करे । दोपहर बारा बजे श्रीरामजीका जन्मोत्सव करे । जन्मोत्सवतक उपवास करके निरंतर
श्रीरामजीका चिंतन करे । जन्मोत्सवके बाद ब्राह्मणोंको दक्षिणासहित भोजन करवाये ।
बादमे स्वयं भोजन करे । इस व्रतसे श्रीरामजीकी भक्ति प्राप्त होती है ।
४)श्रीहनुमान जयंति (चैत्र
मास पुर्णिमा)
इस दिन श्रीरामभक्त हनुमानजीका
सूर्योदयके समय जन्म हुआ है । इस दिन प्रात:काल स्नान करके हनुमानकी
प्रतिमा प्रतिष्ठा कर ॐ हनुमते नम: मंत्रका उच्चारणसे, षोडशोपचारसे पूजन करे ।
दिनभर निरंतर श्रीराम-हनुमानजीका चिंतन करे । नैवेद्यमे गुड, चनाका लड्डु करे ।
दोपहरको ब्राह्मणोंको दक्षिणासहित भोजन
करवाये । बादमे स्वयं भोजन करे । इस व्रतसे श्रीरामजीकी भक्ति और ह्नुमानकी शक्ति प्राप्त
होती है ।